सुझाव संकलन नौटंकी हो : भानुराम थारू
वर्तमान राजनीतिक अवस्था, संविधानके पहिल मस्यौदा, लौव बन्न संविधानओ थारू समुदायके राजनीतिक अवस्थावारे थरुहट तराई पार्टी नेपालके अध्यक्ष भानुराम थारू ओ लखन चौधरीबीच हुइल बातचितके अंशः
लौव संविधाननिर्माणके लाग देशभर संविधानके पहिल मस्यौदा उप्पर छलफल ओ सुझाव संकलनकामजारी बा। यहि हे कसिक लेले बाटी?
जब चार राजनीतिक दलबीच १६ बुँदे सहमति हुइल। तबसे हम्रे १६ बुँदे सहमतिओ आइल पहिल मस्यौदाके विरोध जनैटी आइल बाटी। काहेकी चार दलीय सहमतिओ पहिल मस्यौदा विगतमे नेपाली जन्तनसे करल तमान आन्दोलनके उपलब्धीओ अन्तरिम संविधानके मर्म विपरित बा। हम्रे चाहले रही, मजाओ हमार संविधान आएक हिके, मने विद्यम्वनाचार राजनीतिक दल हमार आशाहे लट्यासेक्ले बाटै। चार दलहुक्रे पहिलेही संविधान बना सेक्ले बाटै। अब्बा मस्यौदा उप्पर सुझाव संकलन हुइटा, यी केवल नाटक हो, नौटंकी किलहो।
औरे जिल्ला जस्ते कैलाली जिल्लामे सुझाव संकलन जारी बा। यहे क्रममे मंगरके रोज अप्ने जिल्ला विकास समिति कैलालीके सभाहलमे आपन सुझाव देनाक्रममे अप्नेक उप्पर विरोधके भाषा अप्ना गिल यहिहे कसिक लेले बाटी?
मै आपन व्यक्तिगतओ मोर पार्टी थरुहट तराई पार्टी नेपालके तरफसे सुझाव देहे पैना मोर अधिकारके बात रहे जसिन लागल। मने सुझाव देना क्रममे जौन मेरके मोर उप्पर व्यवहार करगिल, यी सुनियोजित बा। यी नाटककार हुकनके नाटक मञ्चन किल हुइटा।
अप्नेके कहाईमे सुझाव संकलन नौटंकी होकहिके अप्ने हेपता रटी-रटी फेन चार राजनीतिक दलसे तयार पारल मस्यौदामे काहे सुझाव देहे परल रहे?
यी का हो कलेसे, कतिपय अवस्थामे हमार विरुद्धमे फेन अभिव्यक्ति आइल रहे। बहुट ठाउँसे अप्नेन्क तरफसे कुछ नाई आइल, कुछ बोलक परल कना हिसाबसे अनुरोध आइलरहे। दोसर बात काहो कलेसे जन्तनके तरफसे आइल अनुरोधहे पुरा कर्ना हमार राजनीतिक अभिभाराओ दायित्व फेन हो। यहाँके शोषित पीडित जनता हुकनके अनुरोधहे पूरा करेक लाग आइल हो, सुझाव देहलहो, आउर कुछ फेन नाई हो।
अप्नेक जौन स्वतन्त्र रुपमे सुझाव देहे पैनाअधिकार रहे। उ अधिकार उप्परधावाबोलगिल, आबअप्नेक कदमका रही?
अइनाकदम ते स्वतः आन्दोलनके विकल्प नाई हो। हमार पक्षमे संविधान आइकना बात, यहे पहिल मस्यौदासे पता चलगिल बा। नाई आई कनामे हम्रे प्रस्ट बाटी। हम्रे सडक आन्दोलनमे जाब। हम्रे सदनमे फेन रहलेक ओरसे हम्रे सदनमार्फत फेन सशक्त प्रतिरोध करब। देशके कतिपय स्थानमे सुझाव संकलनके कामउत्साहजनक रुपमे फेन हुइटा।
कतिपय जिल्ला, खास कैके पूर्वी तराई जिल्लामे मधेसवादी दल हुक्रे सशक्त रुपमे मस्यौदाके विरोध जनैटी रहल बाटै। यी ठाउँमे अप्नेन्के अवस्था कमजोर बाटे?
यहाँ काहो का, काल्ही कदिनमे हुइलतमान चुनावमे कैलाली-कञ्चनपुर थरुहट क्षेत्रके जन्ताहुक्रे असिन बाटै कि, हमार अधिकार ओ पहिचान सुनिश्चित करेक लागका करेक परठ, किहिहे पठाइक परठ?बुझके फेन बुझ पचाइल अवस्था बा। यहाँके जन्ता हुक्रे पैसामे खरिद जैना प्रबृति बा। जौन समस्याके कारण हमार सडक आन्दोलनमे फेन समस्या बा। तब फेनहम्रे तत्कालिन अवस्थामे आन्दोलनके तयारीमे बाटी। जन्तनमाझ जाबओ जन्ता हुक्रे हमार मुद्दाहे पक्का फेन आत्मासाथ करहीकना विश्वास लेले बाटी।
थरुहट तराई क्षेत्रके जन्तनके मागअनुसार आइल पहिल मस्यौदा कसिन हुइ कपर्ना रहे?
हमार यी क्षेत्रके माग अन्तरिम संविधानमे उल्लेख बा, उ माग अक्षरांश कार्यान्वयन हुइ कपर्ना हमार माग हो। दश वर्षे आन्दोलनसे लेके सक्कु आन्दोलनके मर्महे अन्तरिम संविधानमे समेतगिल बा। उ मस्यौदामे आइकपर्ना हो। यदि उ माग मस्यौदामे नैआई कलेसे हमार तर्फसे संविधान अमान्य रही।
अन्यत्यमे कुछ कहना चाहबी?
अवश्य, वास्तवमे जौन बात सुझावके रुपमे जिल्ला विकास समितिके सभा हलमे कहना चाहतहु, उ बात कहे नैपैनु, उ वातकाहो कलेसे, संघीयता अपरिहार्य होगिल बा। यी मस्यौदामे फेन आइल बाकि, आयोग बनाके सिमाकंन कर्ना ओ व्यवस्थापिका संसदसे दुई तिहाईसे पास कर्ना साथे अन्त्यमे प्रदेश सभामार्फत नामाकंन कर्ना उल्लेख बा। हमार कहाई काहो कलेसे, कैलाली-कञ्चनपुर निरन्तर रुपमे ऐतिहासिक, भौलिक रुपमे उत्पीडनमे परटी आइल ओरसे तराईमे तीन ठो प्रदेश बनेक पर्ना सर्व स्वीकार्य होसेकल बा। उ फेन कैलाली, कञ्चनपुरसे चितवनसम थरुहट प्रदेश बनी कहिके अन्तरिम संविधानके पहिल मस्यौदामे आसेकल अवस्था हो। तर अब्बाके दोसर संविधान सभाके चुनाव पाछे यहाँका देखा परल बाकलेसे कैलाली-कञ्चनपुरसहित अखण्ड सुदुरपश्चिम हुईक परी कहिके उहाँहुक्रे धम्की पूर्ण भाषा प्रयोग करटी आइल बाटै। मै उहाँ हुकनका चेतावनी देना चाहम् कलेसे यदि कैलाली-कञ्चनपुर थरुहट प्रदेश नैबनीकलेसे जत्रा फेन थरुहट प्रदेश नैस्वीकार करुइया, चाहे थारु काहे नाई हुइट, कैलाली-कञ्चनपुरसे बसाई सराई कर्लेसे हुजाई। दोसर बात, पहाडी समुदाय हुक्रे का कहटै, कलेसे थारु समुदायसे मिलके बैठल बाटी कहिके। मने हम्रे मिलके नाई, सहके बैठल बाटी। हमार सब चिज छिनगिल बा। हमार पहिचान थरुहट तराई रहे, हम्रहन मधेसी बनागिल बा। थारुन् दास बनैले बाटै। हम्रहिन श्रमिक कमैया ते बनैलै-बनैल, आब हम्रहिन राजनीतिक कमैया फेन बनैना क्रममे रहल बाटै। तबमारे हम्रे आब सहके नैबैठब, थरुहट प्रदेश बनाइकलाग जाजा करेक परी, हम्रे तयार बाटी ओ थरुहट बनाके छोरब।
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