KRISHNA SARBAHARI PHOTO.docकृष्णराज सर्वहारी- एकठो कहाई बा– ऊ मनैयाँ अभागी हो, जो जिन्गीम दुई लाईन फेन कविता नै रच्ले हो। सोझे बाट बट्वइनासे टुकबन्दी मिलाके बट्वइलेसे स्वतः मनैन्के ध्यानकर्षण हुइठिन्। अगर अपने भावनामे बह जैवी टे संघरियन कैह बैठ्ठाँ अरे यी टे कवि हो गैल। मने कविता छन्द मिलैना टुकबन्दी किल नै हो। नेपालीमे डोसर कहाई बा– …शब्द थुपारेर के हुन्छ? भाव भए पो हुन्छ।’ उहेसे बीच बीचमे टुकबन्दीके साथ–साथ कवितामे ऐसिन भाव अइना चाही, जौन साधारण बोलीचालीम् नै बोल जाइठ, जेकर कुछ अर्थ लागे। कविताके परिभाषा समालोचकलोग मेरमेरिक डेले बटाँ। यहाँ कवितक् खोजी बोज्नी कैनासे थारू कवितक् हल्का फुल्का इतिवृत्तान्त खोज्जाइटा।

थारू भाषक् पहिला कविता संग्रह कौन हो? यकिन नै हो। सात सालओर जो जीवराज आचार्यके निकारल हम्र ओ हमार बन्वा कविता/गीत संग्रह जो हो कना कुछ शोधकर्तन्के कहाइ बा। यी हिसाबसे थारू कविताके शुरुवात हुइले ६४ बरस माने परठ। थारू किताबके प्रकाशनमे सब्से ढेर कविता विधा (मुक्तक, गजल, हाइकु लगायत) जो छपल बा। आब् थारू कवितामे संख्यात्मक सँगे गुणात्मक ओर ध्यान डेना जरुरी बा। हम्रे रूपन्देहीके जनकवि बमबहादुर थारू हस अपन जिल्लामे अकेली डुकेली कविता रचना कैनासे समूह बनाइ पर्ना बा। थारू कविता आन्दोलनमे लागल कविलोग मूलधारके कविता आन्दोलनमे फेन समहित हुइना जरुरी बा। जिल्लामे हुइल मूलधारके कविता गोष्ठीमे अपन फेन थारू कविताके पहिचान दर्ज करैना जरुरी बा।

कवियत्री शान्ति चौधरी जे ६१ ठो किताब प्रकाशन कै सेक्ली। यी थारू समुदायके लग गर्वके बात हो। मने थारू समुदाय उहाँहे सम्मान डेहल नै बिल्गाइठ। सन्तराम धारकटुवा थारू हस कुछ कवि बटाँ, जेकर थारू भाषम् रचल कविता उल्ठा कैके राष्ट्रिय, अन्तर्राष्ट्रियकरण कर्ना श्रेणीम परठ। मने उहाँक् कलम निरन्तर नै हुइ सेक्ठिन्। कवि सियाराम चौधरी पचासके दशकमे पूर्वीया थारू कविता आन्दोलन पचासौँ श्रृंखला कराके दुइठो कविता संग्रह निकारके अब्बे चिमाइल बटाँ। कैलालीके कवियत्री शर्मिला सृष्टि मनके फूला नामक् सशक्त खण्डकाब्य प्रकाशनके बाद हेराइल बटी। ओहेसे शान्ति, सन्तराम, सियाराम, शर्मिला हस कविलोगन् सम्मान कैके उहाँलोगन्के लेखनीहे फेन डोस्रे लौसरवइना जरुरी बा।

यहोँर कवि सोम डेमनडौरा जंग्रार साहित्यिक बखेरी मार्फत् अपन कर्म ओ जन्मथलो बाँके, बर्दियामे किल नाहीँ साउदी अरब, कतार, मलेशिया, भारतमे फेन शाखा खोल सेक्ला (हेरी इहे अंकमे शत्रुघन चौधरीक् लेख)। स्काइप मार्फत् खासकैके थारू गजल अभियानमे बटाँ। जंग्रार साहित्यिक बखेरीके केन्द्र मार्फत् डिउली ओ ओकर मुम्बई शाखा मार्फत् जेउनास थारू संयुक्त गजल संग्रह निकर सेकल। ठुम्रार साहित्यिक बखेरी कीर्तिपुरसे हरेक महिनक् अन्तिम शनिबार त्रिभुवन विश्वविद्यालय कीर्तिपुर परिसरमे थारू कविता बाचनके आयोजना कैके हलचल नन्ले बा। कैलालीमे छिटकल थारू साहित्यिक समाज, जिउगर साहित्यिक फँटुवा थारू साहित्यहे मलजल कर्टी बा।

थारू कविता खासकैके मुक्तक, गजल आजकल फेसबुकमे छाइल बा। आधुनिक संजालमे विश्वभर एक सेकेण्डमे पाठकलोग पह्रे सेक्ना फेसबुकके प्रयोगले थारू कविताके क्षेत्र फराक हुइटा। आब बहस कर्ना जरुरी बा। थारू कविताके धार कहोर जाइटा? गोचाली आन्दोलन चलाइल प्रगतिशिल आन्दोलन बँचल बा कि? श्रृंगारिक ओर किल पैला आघे बह्रल बा? मनैँ साहित्यमे कदम बह्राइक लग सबसे पहिले कवितक् बौँरा जो पकरठाँ। ओहेसे कविताके शक्ति बरा बटिस।

थारू कविता, गजल, गीतहे आब रेकर्ड कर्ना फेन जरुरी बा। हमार पुर्ख्यौली लोकगीत रेकर्ड नै होके नेपाली खस भाषा, हिन्दी गीत संगीतमे रमाइल ओर्से थारू गीतके, कविताके शक्ति घटल हस बिल्गठ। मैना, सजना, अष्टिम्कीक् गीत, धमार खाली बुह्राइल मनैन्के मुँहेमसे किल सुन्जैना दुर्भाग्यके बात हो। इही आब रेकर्डके शैलीमे लैजाके युवा पिढीक् डुह्री डबाइ सेक्लेसे किल अस्तित्व बँचे सेकी।

 




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *