थारु साहित्यके विकास बारेम् चिन्तन्
अविनाश चौधरी, धनगढी- पुरुसे पच्छिउँसम्के सक्कु थारुनके साहित्यिक विकासके लाग धनगढीमे चिन्तन् हुईल बा। दाङके साहित्यकार कृष्णराज सर्वहारी, बुद्धिजिविद्वय दिल बहादुर चौधरी, कुन्नुनारायण चौधरीके उपस्थितिमे थारु साहित्यके विकासबारे छलफल कैगिल। ‘देऊ देऊ मायर मोरे माथा शिर पगीया रे, हम जइबी धानी रे बियाहे। माथ शिर पुता बातै जोलहे हाथ, जाउ पुता धानी रे बियाहे।।’
कैलालीके साहित्यकार सागर कुश्मीके यी माँगरसे सुरु हुईल छलफलमे साहित्यकार सर्वहारी थारु साहित्यके विकासके लाग छिट्कल साहित्यकार हुक्रन एकजुट हुईना आवश्यक रहल बटैलाँ। उहाँ थारु साहित्यकारन्के राष्ट्रिय स्तरके कार्यक्रम करेपर्ना आवश्यक रहल धारणा रख्ती आघे कहँलैं–“थारु साहित्यके माहोल बनाइकलग कार्यक्रम् कर्ना जरुरी बा।”
सुरुवात कर्लेसे सब संभव हुइना बुद्धिजिवि कुन्नुनारायण चौधरी बटैलाँ। उहाँ साहित्यकारहुक्रन आपन कलमहे सशक्त बनाइक पर्ना सुझैलाँ। बुद्धिजिवि दिल बहादुर चौधरी थारु समुदाय साहित्यके भण्डार रहल कहती संरक्षणके लाग साहित्यकारलोग जुर्मुराई पर्ना आवश्यक रहल बटैलैं। उहाँ सक्कु जिल्लाके थारु साहित्यकार सम्मिलित राष्ट्रिय स्तरके कार्यक्रम कर्ना खाँचो अङ्ग्र्यैलाँ।
नेपालमे थारु साहित्यकारहुक्रनके अभिनसम् राष्ट्रिय स्तरके कार्यक्रम नै हुईल चर्चा करती ओकर सुरुवात कैलालीसे कर्ना छलफलमे बात उठागिल। अइना दिन थारु राष्ट्रिय कविता महोत्सव कैलालीमे कर्ना छलफल चल्लेसे फेन ओकर औपचारिक रुपमे निर्णय भर नै हुईल। कैलालीमे एकथो साहित्यिक संस्था गठन कर्के साहित्यिक गतिविधी आघे बढाइक पर्ना सहभागि ठाकुर करिया प्रधान बटैलाँ।
‘टोहाँर घर पैल्ह जाइबेर खोब मर्जाद कर्लो। मोर मनेम टे धेर रहिंट, मने तुं आवाद कर्लो।।
अचानक छोरके कहाँ चल गैलो ए छिनारी, बन्टी, बन्टी रहल घर बर्बाद कर्लौ।।।’ साहित्यकार कृष्णराज सर्वहारीके डमदार मुक्तक वाचनसंगे छलफल कार्यक्रम ओराईल। छलफलमे थारु भाषक पत्रपत्रिकाके विकास ओ स्तरोन्नतीके बारेम फेन चर्चा कैगिल।
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