थारु भाषा ब्लग

थारुनके अपमान हुईसेक्ना ईतिहास बनैना कोशिस (थारु भाषा)

बीथारु- २०६४ साल म हुईल संविधान सभाके चुनाउओ गठन हुईल पाछ नेपालीजनतन म सक्कु जनतनके भलाई हुईनामेरके संविधानवनिकनाआशा रहिन। मने पहिल संविधान सभालौव संविधानविना देल विगठन हुईल पाछ दोसर चो फेनसे संविधान सभाके चुनाउहुईल सक्कुन्हपतै वा। पहिल संविधान सभाके चुनाउ म संघीयताके ढाँचा समेत प्रतिवद्धता पत्रजनतन के सामने चुनाउ...

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थारू प्रसादु– भुख लागल मै भात मंग्नु, टुँ म्वार पिठीम धाप लगाक बरा प्यार से कलो चिपा रो छोट्का । म्वार ठे काम कर्ना पख्रा बा, मै जमिन मंग्नु टुहिन दया लागल अढ्या लगाइक लाग ठन्चे डेलो मालिक टुँ खुद रहो, मै कमैया ओ बरा प्यारसे कलो चिपा रो...

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बुनु थारु- कहाई बा, डुले घुमे जैबो टे मन चङगा हुइठ। लौवा ठाउँके भ्रमण कैबो टे मनहे खालि आनन्द किल नै मिलठ, एकओरसे उ ठाउँक रितिरिवाज, चालचलन, संस्कार ओ ज्ञानगुनके बात फेन सिखे मिलठ। ओम्हेफेन साथीसंगी ओ घरपरयार सँगे जाइ पैना टे छुट्टे मजा बा। मै पोहोर सालिक डश्यम सपरयार...

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सन्तोष दहित, दाङ- थारु समाजम गाजैना वर्किमार गीत शिक्षाके भण्डार हो कैख वट्वारख्ल थारु सस्कृतविद अशोक थारु। गैल अठ्वार शुकदिन्वा थारु पत्रकार संघ दाङके आयोजनाम हुइलक वर्किमार विषयक कचेहरी कार्यक्रम असिन वात वटोइलक हुइट। कार्यक्रमके वर्का पहुना समेत रलक थारु पाछक समयम ठर्‍या पुस्ताहुक्र यीहन ग्रहण कर निसेक्लक कटि...

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पवित्रा चौधरी- देश अस्थिरतामे भुँरियाइल बा। यी अवस्थाहे विना नाठक् घोरी कलेसे सायद फरक नै परी। एक पाछे औरे घटना, आन्दोलन, चक्काजाम टे दिनचर्या जो हो गैल बा। यी सब नै हुइटीकिल टे हमरिहीन टीनामे नोन नै पुगल कि कहेहस हुइ लागि। धनगढी–काठमाडौँ पुग्ना बसक यात्रा ठिक्के १८ से २०...

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अनत चौधरी/राम दहित, धनगढी- कहठै मेहनतके फल मिठ रहठ। ओस्टे हुईल बा पवेरा–५ के २५ बर्षीय सन्तोषकुमार चौधरीके जिन्गीम्। मेहनती, कर्ममे विश्वास करना, कबुफेन पनि हतास नाई हुईना स्वभावके सन्तोषके अब्बे दिनचर्या जो परिवर्तन हुईल बटिन। कौनो समय पत्रिका वितरक रहल उहाँ हाल गाविस सचिव हुइल बाटै।

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नविन चौधरी- देशम बह्रटी गैलक बेरोजगारी, खाद्यान्नके अभाव सँग–सँग विभिन्न संकट पैदा हुइटी रहल ब्याला एक्क गाउँक दुई दर्जनसे ढेर युवाहुक्र भारत पलायन हुइल बाट। दाङ सौडियार गाविस ८ शुक्रवारक युवाहुक्र रोजगारीके शिलशिलाम भारत गैल हुइट। आम्ही जैनाहुकनके संख्या तिव्र रहल बा। सद्द खेत्वाबारीम काम कर्लसेफे खैना, लगैना, बैस्ना लगायत...

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श्याम सि टी- हमरे समाजमे जन्मेली, समाजमे सब कुछ करेली। समाजमे काम करटे करटे हमरे यी अमूल्य जीवन गवाँडेली। हम्मन यटना पटा फिर नाइ रहट कि हमरे समाजमे जनम लैके समाजके लिए का करेक परी, हमरे का करे जनम लेहले बाटी, एकर उत्तर सायद हमरे नाइ डैसेकी। लेकिन जब हमरे...

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देवराज चौधरी- – हेल्लो ! हेल्लो !! – हजुर चिन्हली ? – हाँ, हाँ राम राम ! अस्टे प्रसंगसे बात सुरु हुइल। हालचाल, घरव्यवहार, अध्ययन, भइवा, बहिन्या, पारिवारिक जीवनके बारेमे ढीरे ढीरे मोबाइलमे बात हुई लागल। सायद पहिलेँहिँसे परिचित हुइल रहिट ऊ, जरुल डेख्ले फेन रहल हुँइही, टब्बे टे...

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